काला न्याय
न्याय व्यवस्था देख के, बढ़ते यहाँ अपराध।
तारीख पर तारीख से, बढ़ता रहे अपराध।।
चोर लुटेरो अपराधी, संग दिखता न्याय।
देरी से मिलता न्याय, वह भी है अन्याय।।
देरी से मिलते न्याय का, होता है नुकसान।
समय, धन व संताप का, लगाओ अनुमान।।
जन्मभूमि पर कब्जे को, खप गई पीढ़ी चार।
फिर भी नही मिलता है, भूमि पर अधिकार।।
यहा अग्रेजी न्याय से, हो रहा व्यापार।
पैसो के दम पर मिलता, घर बैठे अधिकार।।
काले कोट काली टाई, करते काला न्याय।
दोषी विदेशो मे घूमते, निर्दोष जेल बिठाय।।
न्यायपालिका मे देरी, के वह सभी जिम्मेदार।
शपथ लेकर संविधान कि, वेतन भत्ते के हकदार
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588