कारवां बन जाने दो।
अब कहां किसे फिक्र है तुम्हारी,
जो बीत गई रात बीत जाने दो,
जहन में रखो कि जो हुआ अच्छा हुआ,
मुठ्ठी भर रेत ही थी फिसल गई फिसल जाने दो।
अभी ना देर हुई ना कुछ बदला है कहीं,
थोड़ा जख्म ही है जख्म को भर जाने दो,
हम सम्हलेंगे,खुद दौड़ पड़ेंगे भी,
हालात गमजदा है थोड़ा गम तो मिट जाने दो।
हां पता है ऐसे हाल में दुनिया आगे बढ़ जाएगी,
रुक के देख लो तुम भी कि सब को बढ़ जाने दो,
कोई हो शायद हमसे भी बुरी हालात का मारा,
सब्र कर ढूंढो और कारवां बन जाने दो।