कारण
नित नई परीक्षाओं से गुजरी ये जिंदगी,
फिर भी नही कभी यूँ ठहरी ये जिंदगी,
हर परीक्षाओं में हल करने को प्रश्न,
बड़े संयम और धैर्य से प्रयत्न करें जिंदगी।
जिंदगी उलझाती रही मुझे पाठ्यक्रम में
शायद कोई कारण था।
सुनसान राहों पर चल पड़ी ये जिंदगी,
राह के बाधाओं से डरी सहमी जिंदगी,
अचानक राह में मिला कोई देवदूत सरीखा,
आस्था का परचम लहराए चली जिंदगी।
फिर यक़ीन हुआ रब की इनायत पर
और लगा शायद यही कारण था।
गिरी सहमी उठ खड़ी हो चली जिंदगी,
बड़े नाजों से जो कभी पली थी जिंदगी,
स्वयं को चट्टान सा मजबूत बनाया
जमाने से डटकर लड़ी ये जिंदगी।
जिंदगी को जिंदगी ने कई बार आजमाया
और लगा शायद यही कारण था।