काम नहीं आती उपासना
*** काम नहीं आती उपासना ***
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कभी काम नहीं आती उपासना
मन में जब जन्म लेती है वासना
विश्वामित्र जैसे सन्यासी चूक गए
सुंदरी मेनका ने तोड़ डाली साधना
काम,क्रोध, मोह,लोभ मिल लूटते
संपूर्ण होने न देते कभी आराधना
पग पग पर कामदेव पहरेदार सा
रग रग में छा जाती है कामवासना
मंजिलों पर पहुंचना आसां है कहाँ
शान शौकतों को पड़ता है त्यागना
निद्रामग्न हुए तो समझो छूट गया
बीच में पड़ सकता है कभी भागना
सोने वालों की मंजिलें दूर हैं सदा
हर पल रहना पड़ता सदैव जागना
मनसीरत सौलह आने सच कहता
अधूरी तैयारी में पड़ सकता हारना
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)