“आंसू किसी भी बात पर निकले ll
“आंसू किसी भी बात पर निकले ll
हर बार उसे ही याद कर निकले ll
भीड़ में गिराते तो कमजोर कहलाते,
हम आंखों में अश्क लाद कर निकले ll
दिल और दिमाग आपस में लड़ रहे हैं,
आंखों से आंसू दंगे-फसाद कर निकले ll
लोग तारीफों के पुल बांध रहे हैं,
आंखों से सैलाब हर दाद पर निकले ll
रोने की इच्छा प्रबल थी, पर हमें तो थी जल्दी,
हम महफ़िल से चुपचाप दम साध कर निकले ll”