काबिल नहीं मिलता
है मजबूरी हवाओं की कोई बातिल नहीं मिलता
मिलाते हाथ हैं उनसे भी जिनसे दिल नहीं मिलता
यकीं करना भी मुश्किल है ज़माने में कहाँ जाएं
भरोसा गर करो जिस पर वही क़ाबिल नहीं मिलता
सभी अपना भला चाहें सियासत ने उजाड़ा है
मिलेंगे मतलबी सबको मगर आदिल नहीं मिलता
कमाना चाहते हैं सब तरीका चाहे जो भी हो
सदाकत को निभाएं जो यहाँ आमिल नहीं मिलता
मिली मंजिल उसी को जो समझ रखता जमाने की
मुसाफ़िर रहता उलझन में कभी साहिल नहीं मिलता
गिराया मार आँखों से सताया दिल का लगता था
गज़ब है बात ये ‘सागर’ मगर कातिल नहीं मिलता