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3 Sep 2018 · 1 min read

कान्हा आया कान्हा आया

कान्हा आया कान्हा आया…..

विष्णु के अष्टम अवतार,
आये बनकर तारन हार,
अष्टमी तिथि आठवे पुत्र,
उजाला हुआ जग में सर्वत्र,
डगमगा रहा था जब धर्म,
कंस ने फैला रखा था अधर्म,
साधु संतो में था एक डर,
करने सबको वह निडर,

कान्हा आया कान्हा आया…..

देवकी वसुदेव का था तप,
ऋषि मुनियों का था जप,
पाप का भर चुका था घड़ा,
प्रभु को अब आना ही पड़ा,
काली काली थी अंधियारी रात,
डर से सहमी हुई थी उनकी मात,
मध्य निशा में कोटि कोटि रवि सा तेज,
पापी हो गए थे सारे निस्तेज,
वसुदेव चले जब यमुना पार,
छूने को मचल उठी यमुना अपार,
घनघोर बर्षा दामिनी चमके,
शेषनाग चले आज छत्र बनके,
नन्द के घर कान्हा आया,
सारे जग को है वह भाया,
गोकुल में उत्सव मनाया,
घर घर मंदिर सा सजाया,
धन्य हुई आज भूमि ब्रज,
चन्दन सी महक उठी रज,
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
359 Views
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