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11 Jun 2023 · 1 min read

एक वो है मासूमियत देख उलझा रही हैं खुद को…

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

दर्द समेटे जिन्दगी
ग़मों का सैलाब छिपा,
मुस्कुराते लव
आँखों में खामोश
अंदाज छिपा,
यह तो उनका फ़ितरत है
सब कुछ छिपा लेने की
ख़ुशियों को बाँटने की
ग़म को समेट लेने की
उनके धुएँ की कश में
हमें दिखा बहुत कुछ
एक वो है मासूमियत देख
उलझा रही हैं खुद को…
…एक वो हैं ग़म छिपा कर
ख़ुशियाँ लुटा रही हैं ।

Language: Hindi
1 Like · 110 Views
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