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28 May 2024 · 1 min read

कागज़ से बातें

कागज़ से बातें

जब ओ पास थे, कदर न जानी।
अब धीरे-धीरे वो, लुफ्त हो जाते हैं ।।

उठते-बैठते, दिन रात है बेचैनी।
खुद से खुद, कुछ कहते रहते हैं ।।

हर वक्त है, याद जुबानी।
अंधेरे में ज्यादा, रहते जाते है।।

सोचे हर लम्हा, बीते पलों की कहानी।
खुदबखुद आंसु बहते रहते हैं ।।

ओ सारी गुजरी हुई, बिती कहानी।
लिख लिख कर, कागजों से बाते करते हैं।।

स्वरचित मौलिक – कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.

Language: Hindi
125 Views
Books from krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
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