कांछन-गादी
बस्तर दशहरा के पावन पर्व पर
कांछन देवी विख्यात,
माहरा जाति की कुँवारी कन्या को
मिलती यह सौगात।
कंटक शैय्या पर ही कन्या विराजती
सब कुछ हो अनजान,
राजा औ’ राजपुरोहित झूला झुलाकर
करते उनका सम्मान।
दशहरा पर्व की निर्विघ्न सम्पन्नता हेतु
मांगते उनसे वरदान,
कांछन देवी की अनुमति मिलने पर
शुरू होते हर काम।
जगदलपुर के पथरा गुड़ा में स्थापित
कांछन देवी मन्दिर,
जहाँ बाजे-गाजे संग राजगुरु कहते
हे देवी, हरो हमारे पीर।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।