कहीं तो …
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17.5.24.
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
कहीं तो धब्बे दाग निकालो
बसंत अब के आग निकालो
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जो अपनी मनमानी करते
पकड़ अकड़ वो झाग निकालो
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बेसुर होकर ढोल न पीटो
मधुर सुरों के राग निकालो
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सोने को अभी उम्र पड़ी है
कुछ दिन केवल जाग निकालो
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अंदर विष तो काम न देगा
बेहतर बाहर नाग निकालो
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग