कहियो तऽ भेटब(भगवती गीत)
कहियो तऽ भेटब
(मैथिली भगवती गीत)
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कखन अहां मिलब ,
कहियो तऽ भेटब।
शरण में जेऽ आयल छी तऽ,
कृपा तऽ करब।
निशि दिन हम ध्यान धरै छी ,
कहियो तऽ भेटब ।
जिनगी दुश्वार बनल अइ ,
लोग सभ अनचिन्हार जकाँ ।
निहारैत छी,छवि बस अहींकेऽ,
मैया, दया तऽ करब।
शरण में जेऽ आयल छी तऽ, कृपा तऽ करब ,
निशि दिन हम ध्यान धरै छी,कहियो तऽ भेटब।
राति में जेऽ निन्द नहिं आबऽ,
भविष्यक चिंता सताबेऽ।
थामि लिअ पतवार हाथ में ,
कोना मझधार मे छोड़ब ।
शरण में जेऽ आयल छी तऽ, कृपा तऽ करब ,
निशि दिन हम ध्यान धरै छी,कहियो तऽ भेटब।
कहैया जेऽ लोग हमरा सेऽ ,
कोना के ई जिंदगी कटतौ।
खेत-खलिहान आओर बाग-बगीचा,
किछु नै तऽ,संगे जैइतउ ।
पकड़ू अहां,हाथ हमर जेऽ ,
नैया,हमहुँ पार करब।
शरण में जेऽ आयल छी तऽ,कृपा तऽ करब ,
निशि दिन हम ध्यान धरै छी,कहियो तऽ भेटब।
साँस अछि जेऽ गिनल गुथल ,
ओहि में सभ काज निपटाएब।
छोड़ि देब हम,आगू केऽ चिंता ,
कनिए, आंखि जेऽ खोलब।
शरण में जेऽ आयल छी तऽ,कृपा तऽ करब ,
निशि दिन हम ध्यान धरै छी,कहियो तऽ भेटब।
पहुंचल छी दरबार अहां केऽ
अनुपम श्रृंगार अहां केऽ
महिमा अपरंपार अहां केऽ
मैया, दया तऽ करब…
भैरवी, दया तऽ करब…
काली, कृपा तऽ करब…
दुर्गे, कष्ट तऽ हरब…
शरण में जेऽ आयल छी तऽ,कृपा तऽ करब ,
निशि दिन हम ध्यान धरै छी,कहियो तऽ भेटब।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ७ /१२/२०२२
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विक्रम संवत २०७९
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