कहानी प्रेरणा
कहानी-प्रेरणा
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मेरठ के गांव शिकोहा में नरेंद्र एवं उसका परिवार रहता था।
घर में एक भाई व एक बहन थी,
पिता मजदूरी करके परिवार का भरण
पोषण करते थे—
किसी तरह पढ़ाई हो पा रही थी,
नरेंद्र घर में बड़ा था और समझदार भी।
पढ़ाई का जुनून नरेंद्र में था,
वो यही सोचता रहता कि आगे की
पढ़ाई कैसे जारी रखें!
उसने पिता का हाथ बटाया,नरेंद्र ने
नौकरी की एक दुकान में काम करने
लगा—
और उन पैसों से अपनी व ।
भाई बहन की पढ़ाई भी आगे जारी
रखी,और सभी ने बहुत मेहनत और
लगन से पढ़ाई की।
नरेंद्र ने अपनी पढ़ाई के बाद आई०
पी०एस का एग्जाम दिया—
जिसमें उसका शैलेक्शन हो गया!!!
और नरेंद्र आई ०पी०एस अधिकारी
बन गया।
ऐ!सुनकर पूरे गांव में खुशी की लहर-
आ गई!
सभी को अपने गांव के बच्चे नरेंद्र !
पर बहुत गर्व हुआ,कि पूरे भारत ,
में क्या पूरी दुनिया में नाम रोशन
किया—-
आज हर जगह नरेंद्र के ही चर्चे हैं।
कि गरीबी और परेशानी होते हुए
नरेंद्र ने हिम्मत व हौंसला नहीं तोड़ा–
और संघर्षं से हार नहीं मानी—-
“वो कहते हैं न—
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती!!!
और जी जान से कड़ी मेहनत की!
जो आज स्वर्णिम रंग लाई।।
नरेंद्र के भाई,बहन ने भी मेहनत की
तो उनको भी पढ़ाई के बाद नोकरी मिली—
भाई राजू को बैंक मैनेजर व बहन
रिया सरकारी टीचर!
सभी के दिन खुशियों से भर गए,
गरीबी के काले अंधेरे बादल भी
छट गए।
एक नई दिव्य रोशनी की सुबह लेकर—-
नरेंद्र व उसके भाई ,बहन ने पिता से ,
कहा कि अब आप मजदूरी न करें–
लेकिन! पिता ने कहा मजदूरी का
पसीना,और मेहनत ही रंग लाई है!!
इसे में कभी नहीं छोड़ूंगा!!!!
और गांव के लोगों को भी नरेंद्र से एवं
उसके भाई बहन से प्रेरणा मिली,
कि असम्भ कुछ नहीं यदि कुछ करने
का जुनून है तो कामयाबी अवश्य
मिलती है!!!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,