कहाँ गई मनमोहनी
कहाँ गई मन मोहनी, ढूँढ रहे ब्रजराज ।
कान्हा से जब हो गई, ब्रजरानी नाराज ।।
परेशान तरवर सभी,दुखिया जीव तमाम ।
गहवर वन मे ढूँढते , राधा को घनश्याम ।।
मन मोहन व्याकुल हुए, सहचर सभी हताश ।
मिली नही राधा कहीं, वन-वन लिया तलाश ।।
क्रीडा ईश्वर कीअलख,..जाने योगी सिद्ध ।
राधा से मोहन अलग,ज्ञान द्रष्टि अवरुद्ध ।।
सुना राधिका हरिप्रिया ,कभी लाडली नाम ।
बरसाने के बीच में,… पावन जिनका धाम ।।
मीरा ने मोहन कहा, राधा ने घनश्याम ।
पूर्ण एक सौ आठ हैं, नारायण के नाम ।।
रमेश शर्मा.