कहते हैं हम
कहते हैं हम सुन पाकिस्तान कान खोलकर आज
सीधे-सीधे आजा अपनी हरकतों से बाज।
क्यों हमारे जागीरो पर नजर गड़ा कर बैठा है
आतंकवाद को पनाह देता तु आतंकवाद का अड्डा है।
लिए कटोरा हाथ में दुनिया के चक्कर खाता है
तेरी क्या औकात जो भारत को आँख दिखाता है।
कश्मीर पर कब्जा करने का जो है तेरा ख्वाब है
आगे कदम बढ़ा कर देख हम भी तेरे बाप है।
कई बार तो हार चुका है और कितनी मुक्की खाएगा
इस बार जो सामने आया अस्तित्व नहीं रह जाएगा।
एक बार दे दिया लाहौर अगली बार ना ऐसा होगा
इस बार अंजाम तेरा सोचा ना तूने वैसा होगा।
भारत माँ के वीरों को उकसाने का न प्रयास कर
सह ना सकेगा तु हमारे शेरों की दहाड़ भर।
बहुत सिर तु उठा रहा है तेरा सिर कुचलना होगा
तेरे जहरीले फनों को अजगर बन निगलना होगा।
अंतिम मौका दे रहे हैं केवल तुझे समझने का
फिर कोई मार्ग नहीं बचेगा वीरों के हाथ से बचने का।
जब हम अपने पर आएंगे तो प्रलय ऐसी मचा देंगे
दुनिया के मानचित्र से ही पाकिस्तान मिटा देंगे।
लाहौर नहीं इस बार तिरंगा इस्लामाबाद फेहरा देंग
भारत से ही बना पाकिस्तान फिर भारत में मिला लेंगे।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’