कहता है सिपाही
कहता है सिपाही
कहता है सिपाही मुझे ना मोह पत्नी, पुत्र, धन, वैभव का, मोह है तो देश के लिए मर मिटने का।
कहता है सिपाही मेरे शहीद होने पे, चार दिन आंसू बहाके भुलाने को देर नहीं लगती यह दुनियां l
कहता है सिपाही भूल जाये चाहे यह ज़माना हमें , मुझे फिर भी मर कर भी और मरने के बाद भी अपना सेवा धर्म कर्तव्य भारत माता की सेवा करके है मुझे इस धरती से जाना।
कहता है सिपाही गर्व है मुझे अपने पे और अपने साथियों पे की लाल मुझे अपना भारत माता ने अपना बनाया है, कि मर के भी ना मर पाएंगे एक आंच ना भारत मां पे आने देंगे ।
कहता है सिपाही कि जिस मिट्टी में पैदा हुआ हू, जिस मिट्टी ने हमें दिया सब कुछ, कि मिट्टी नहीं मां धरती है वो मेरी, मां धरती पे जो बुरी नजर रखेगा ,हम छोड़ेंगे अंधा बना के उसे।
कहता है सिपाही कि गोली खा के सीने पे सोए हम , कि मर के भी रक्षा तिरंगे मे जान डाल के करेंगे हम।
🇮🇳जय हिंद 🇮🇳