कसम
???कसम???
उसने कसम खाई थी
मंजिल अपनी पानी है
छोड़कर सारी बाधाएं
आगे बढ़ते जाना है।
उसने कसम खाई थी
सपने जो देखे हैं
अपने समय अपनी उम्र में करने हैं
तू कर यतन तू कर जतन,
सफलता चूमेगी कदम।
उसने कसम खाई थी
कंटकों की सीख का
सत्कार कर ले
एक कांटा रास्ते को
रोक सकता नहीं।
उसने कसम खाई थी
आंखों में हो स्वर्गया
सपने अनेक हों
पांव धरा पर रहें,
चाहे सिर पर आसमान हो।
उसने कसम खाई थी
तजौ घमंड उर से अपने,
चाहे पूरा ब्रह्मांड हो
अपने बस में!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि,,