कसक
खुदाया ! हमें इतनी दौलत दे के निहाल हो जाएँ ,
इस जहान में हम सबसे जाएदा अमीर बन जाएँ ।
यह यहाँ की सच्चाई है बेशक बहुत कड़वी मगर ,
बिना इसके इंसान का कोई वजूद नहीं ,कहाँ जाएँ ।
दौलत के तराज़ू पर ही तौला जाता है यहाँ इंसान को
अपनी नेक नियति,शराफत,लियाकत किसे दिखाएँ ?
उसी के मुंह तिलक लगता है जिसकी जेब भारी हो ,
ठुकराये हुए ,बेइज़्ज़त अक्सर नज़रअंदाज़ किए जाएं
दौलत हो पास कुछ इज्ज़त औ कद्र हम भी खरीद लें
ताकि जहां भी जाएँ सर आँखों पर तो बिठाये जाएँ ।
शोहरत,ईनामत,बड़े सम्मान पैसों से ही मिलते यहाँ ,
चंद रुपयों -पैसों से हम भी यह सब हासिल कर पाएँ
यहाँ मूहोबत,प्यार,दोस्ती,रिश्ते सभी दौलत की नज़र
दौलत के बिना वफा की उम्मीद हम ना करने पाए।
सोचते होगे तुम यह आज ‘अनु’ को क्या हो गया ,
मगर जहां ऐसे हालात हों वहां लाजमी है हम भी बदल जाएं ।