*कष्ट दो प्रभु इस तरह से,पाप सारे दूर हों【हिंदी गजल/गीतिका】*
कष्ट दो प्रभु इस तरह से,पाप सारे दूर हों【हिंदी गजल/गीतिका】
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(1)
कष्ट दो प्रभु इस तरह से, पाप सारे दूर हों
जन्म लेने को नहीं, फिर से कहीं मजबूर हों
(2)
शक्ति जो हमको मिले, उपयोग हो परमार्थ में
शक्ति के मद में नहीं, किंचित कभी भी चूर हों
(3)
रह न जाए कर्म का, बंधन कहीं इस जन्म में
जिंदगी-भर हम सजग, इस दृष्टि से भरपूर हों
(4)
हम में भरी सद्भावना हो, और ममता हो दया
निर्धन-दुखी जन के लिए, हम न हर्गिज क्रूर हों
(5)
उच्च पद की लालसा, हमको नहीं देना प्रभो
इच्छा न होनी चाहिए, यह कि हम मशहूर हों
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451