कविवर रविन्द्र नाथ टैगोर
रविन्द्र नाथ टैगोर*
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जिनकी रग -रग में बसता था, राष्ट्रप्रेम का पावन नाम।
सदा -सदा ही याद रहेंगे, ऐसी गुरुवर लोग महान।।
जिनके लिए राष्ट्रहित पहले, सर्वोत्तम शीर्ष सिरमोर।
एक नाम है उनमें राष्ट्रकवि ,श्री रविंद्र नाथ टैगोर।।
जन ,गण ,मन का राष्ट्रगीत दे, जन का मान बढ़ाया।
पंजाब ,सिंध ,गुजरात सभी ने, मिलकर गान गाया।।
द्रविड़, उत्कल, बंग, मराठा, एक राष्ट्र कहलाया।
मिला हाथ से हाथ सभी ने, राष्ट्रीय ध्वज फहराया।।
सुर से सुर को मिला सभी जन ,राष्ट्रगीत हैं गाते।
जय भारत,जय जननी जनता, सम्मान से शीश उठाते।।
विंध्य, हिमाचल ,यमुना, गंगा,सागर देश की थाती।
लहर-लहर जल की धाराएं ,जनजीवन से जुड़ जातीं।।
ऐसा देश हमारा प्यारा, मिल राष्ट्रगान हम गाते ।
छब्बीस जनवरी, पंद्रह अगस्त पर तिरंगा फहराते।।
मंगल दायक जन हितकारी, निज संविधान बना है ।
रग- रग को रोमांचित कर दे ,ऐसा राष्ट्रगीत अपना है।।
जै सावरकर,वीर शिवाजी, जय रानी लक्ष्मी बाई ।
जिनके त्याग समर्पण से, आजादी हमने है पाई।।
जय वीरों की, जय शूरों की ,जय भारत जन- जन की।
जय जय जय भारत अपना,जय भारत देश भुवन की।।
जय भारत जय भाग्य विधाता, जय सुभाष जय गांधी। जय आजाद भगत सिंह टैगोर, देश प्रेम की लाए आंधी।।
आन-बान, सम्मान का सूचक , ‘मीरा ‘राष्ट्रगान अपना है।
तिरंगे को सम्मान दिलाना, हर भारतीय का सपना है।।
मीरा परिहार 💐✍️