कवियों की सरकार 1
कवियों की सरकार
घनाक्षरी छंद
एक बोला कवियोंकाक्या है ?सभी मंच पर,
देशहित गाते बातें करते बड़ी-बड़ी।
राष्ट्रभक्ति तालियों के अंदर समाई हुई,
जोड़ते हैं कड़ियों से मिलाते हुए कड़ी।
कहना सरल ,करना कठिन कविराज,
मेरे तो दिमाग में ये बात कील सी गड़ी।
सरकार केंद्र में बनाई जाए जो तुम्हारी,
किसके हाथों में दोगे किस पद की छड़ी।
मैंने कहा राष्ट्रपति बैरागी जी को बनाएं,
पी एम का पद देंगे चतुर कुमार को।
शर्मा जी गृहमंत्री संस्कृति अशोक जी ,
रक्षा मंत्री पद देंगे साहसी पंवार को।
अरुण विनीत मानवीर भी देखेंगे कहीं,
रेल का विभाग दें प्रताप फौजदार को।
सोर्स के हिसाब से रखे जाएंगे शेष नाम,
गंगा की सफाई देंगे अब्दुल गफ्फार को।
गुरु सक्सेना नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)