कविता
भौरे की गुंजन, कोयल की कू-कू,
चारु-चन्द्र चन्द्रिका, प्रीत बरसे,
प्रेम विरह की अग्नि में,हृदय मेरा जलता रहे,
सुर नर मुनि,सब धैर्य को त्यागे,
विरह वेदना में हृदय जब तरसे,
शरद ऋतु की बेला में,हृदय की धधकती ज्वाला,
चन्द्र पूर्ण बन शरद पूर्णिमा, सब को शीतल रस देवे,
मेरे विरह को न शीतल किया,विरह की अग्नि जलता रहे,
अद्भुत प्रवास,पूर्णिमा की रात,
मेरे लिए वही,अमावस की रात,
कवि बेदर्दी