कविता
अकाल –
टूटे पंखों से
उड़ान भरते रहते
उन शब्दों को
श्रद्धांजलि दे दो
वर्ना
अर्थ की चाटुकारिता
तुम्हें चाट जाएगी
दीमक के समान
तुम ढूँढते रह जाओगे
खुशियों का अलंकार
आनंद का रस
उल्लास के छंद
तुम्हारी जीवन- कविता
फटे पृष्ठों के साथ
बिखर जाएगी
विचारों के मरुस्थल पर
तुम
अकाल बनकर रह जाओगे।