कविता
सुनसुन मुनमुन गुड़िया रानी
मां कहे लाडली बड़ी सयानी
प्यार से कितने नाम सुने है
क्यों तेरे अंदर दुख की कहानी।
झुन झुन पायल सुन सुन पापा
खिल खिल जाता उनका माथा
इतनी खुशियाँ लक्ष्मी लाई
क्यों तेरे अंदर दुख की कहानी।
बड़ी लगन से पढ़ती बिटिया
देख के दर्पण सजती बिटिया
घर के काम हाथ बटाती
क्यों तेरे अंदर दुख की कहानी।
ब्याही गई नया था अंगना
माई बाप भाई भी संग ना
सपने नये सजाने लागी
क्यों तेरे अंदर दुख की कहानी।
माँ से सीखे काम के जो गुन
पिता के संस्कारों को चुनचुन
साथ गांठ में बाँध के लाई
क्यों तेरे अंदर दुख की कहानी।
सास की सेवा पति की आशा
देवर जेठ नंद की भाषा
सुनकर समझ के चलने वाली
क्यों तेरे अंदर दुख की कहानी।
पूजा पाठ शयन व भोजन
ध्यान में रखती सबका क्या मन
कितनी शांत मौन हो पांखी
क्यों तेरे अंदर दुख की कहानी ।
सुखदुःख सबका ध्यान में रखती
भोर से रात तलक नहीं थकती
प्यार का एक भी बोल न जानी
इसलिए अन्तर दुख की कहानी।
नमिता शर्मा