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12 Feb 2022 · 1 min read

कविता

?पूरी जिंदगी यूं इम्तहान हो गई है
बसर करतें पर! सफर हो गई है,
चलता नहीं जोर यहां किसी का,
रब के हाथों जिंदगी नीलाम हो गई है।

यहां होता वही हे!जो उसको मंजूर है,
इंसान तो बस एक कठपुतली है
जैसा नचाया वैसा चला सारा जमाना,

जगत में कुछ भी मानव के वश में नहीं,
कहती है ये धरा,अंबर और सारा जमाना!!!!!
सुषमा सिंह *उर्मि

Language: Hindi
234 Views
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