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11 Feb 2022 · 1 min read

कविता

❤️❤️कविता❤️❤️
तेरी तस्वीर को यूं, निहारा करती हूं,
यादों को तेरी, जन्नत बनाया करती हूं।

तुमसे बिछड़े हुए, एक मुद्दत हो गई,
मिलने की चाहत में, आंखें तरस गई।

हर आदमी है परेशान,क्यों आजकल,
जिंदगी क्यों कैद में ,है आजकल।

प्यार में वफा भी,अब नहीं रह गई,
फैशन सी बन गई, आशिकी आजकल।
मौसम में गुलाबी ठिठुरन है लदी,
धूप लगती गुनगुनी है आजकल।

दौलत पर बिकता है प्यार आजकल,
चाहत किसी से किसी को नहीं
कपड़ो की तरह प्यार, बदलता है आजकल।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,

Language: Hindi
282 Views
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