*”कविता”*
“कविता”
अंतर्मन के मनोभावों को बाहर लाकर कोरे कागज पे उतारती।
कल्पनाओं में उमड़ घुमड़ कर ,
कलम उठा शब्दों में पिरोती।
वेद पुराण उपनिषद वैदिक साहित्य ,ग्रँथों इतिहास बताती।
विभिन्न भाषाओं में लिखी गई ,छंद अलंकार लय बद्ध कर सजाती।
अनेक शब्दावली शिल्पों में ,प्रेम गीत ,फाग गीत ,लोक गीतों मे रचना सुनाती।
कविता के लयबद्ध तरीको से ,अपना नया रूप संचार माध्यमों से प्रसिद्धि दिलाती।
कविता नये आयामों में प्रचार प्रसार से नई दिशा ऊर्जा से भर जाती।
कविता भावनाओं में बहते हुए न जाने कहां से कहाँ तक ले जाती।
कविता मन के तरंगों को जगा ,इंद्रधनुषी रंगों सा रंगीन शमा बनाती।
कविता नई चेतना जगाती ,मन के अंदर भरे आक्रोश को बाहर शब्दों में उकेर लाती।
कविता सुख दुख की हमसफ़र सच्ची बात को व्यक्त करने की दोस्ती का हाथ बढ़ाती।
शशिकला व्यास✍️