कविता
कविता
पलती है
अपने दम पर
सार्थकता से,
उपयोगिता से,
पीढियों के
सरोकार से,
समीक्षा और
तिरस्कार से।
सामाजिक,
आर्थिक,
और नैतिक
मूल्यों के
उपकार से।
और कवि
समझता
है कि
उसने
छंदोबद्ध
किया है,
कविता
को
जन्म
दिया है
-अजय प्रसाद