कविता
जलियाँवाला बाग
चलिये मान लिया की बेहद क्रूर था जनरल डायर
मगर वो गोलियाँ चलाने वाले क्या नहीं थे कायर ?
क्या निहत्थे मासूम लोगों को उन्होँने नहीं देखा ?
क्या उनके दिल में ज़रा सा भी रहम नहीं पनपा ?
बस एक गोली काफी था डायर को मारने के लिए
क्या कोई नहीं था गलती उसकी सुधारने के लिए?
काश कोई होता अगर भगत जैसा माई का लाल
कसम से कहता हूँ कि नहीं हमें होता आज मलाल।
बच जाती तब शायद हजारों मासूम लोगों की जानें
न होता वो जलियाँवाला बाग हत्याकांड आप मानें।
-अजय प्रसाद