कविता
ये जो
सोने-चाँदी के
आभूषण हैं
स्त्री मानसिकता
के प्रदूषण हैं ।
सिर से पांव
तक जो पहने हैं
मतलब भयंकर
पीड़ा सहने हैं।
पुरूषों की है
एक गहरी चाल
करें स्त्रियाँ
गुलामी
सालों साल ।
सारे गहने
हैं षडयंत्र
के शिकार
और स्त्रियों
को लगता
है पुरूषों
का प्यार
-अजय प्रसाद