कविता
खुशी
जब भी
कुछ खरीदना
चाहता हूँ खुद के लिए
तो सस्ती से सस्ती चीज़ें भी
हो जाती हैं महंगी कयोंकि मुझे
लगता है ये फिजूल खर्ची।
मगर महंगी चीज़ें भी
लगतीं है सस्ती
जब बीवी-बच्चों के लिए
खरीदता हूँ कारण उस वक्त
मुझे लगती है ये मेरी खुशी।
-अजय प्रसाद