कविता
गंध बाँटते फूलों को काँटो में पलते देखा है ।
अपना अस्तित्व मिटा मेहंदी को रंग छिड़कते देखा है ।
कागज़ की नावों से दरिया पार कराने वालों , हमने
छले गए विश्वासों को इतिहास बदलते देखा है ।।
– चिंतन जैन
गंध बाँटते फूलों को काँटो में पलते देखा है ।
अपना अस्तित्व मिटा मेहंदी को रंग छिड़कते देखा है ।
कागज़ की नावों से दरिया पार कराने वालों , हमने
छले गए विश्वासों को इतिहास बदलते देखा है ।।
– चिंतन जैन