कविता
यह कविता लगभग १९ वर्ष की आयु में, जुलाई १९७५ को ट्रैकिंग करते समय, लगभग १०- १२ मिंट के समय में लिखी गई।
आज भी मेरी यह पसंदीदा कविताओं में प्रथम स्थान रखती है।
काश मैं !
काश ! मैं हवा होती
दर्दे दिल की दवा होती
बरसाती समा होता
मैं काली घटा होती ।
हरियाली में पली हुई
मैं भी एक लता होती
गर तारा बन जाती तो
तारों में लापता होती ।
किसी शायर का शे’ र होती
किसी कवि की कविता होती
संगीतकार का संगीत होती
कलाकार की अदा होती ।
पर्वतों से बहने वाली
पवित्र नदी गंगा होती
कोयले की खानों में
काश ! मैं हीरा होती ।