कविता शीषक:-
नाम:-तुलसी पिल्लई(जोधपुर,राजस्थान)
“माँ का आँचल”
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जब छोटी-छोटी
शिशु रही
माँ के आँचल में छुपी
गोद में रही
दन्त रहित मुस्कान से
माँ की आँखें भींग गई
जब पाँव में पर लगे
स्फुरण होठो से
खिलखिला उठी
उज्ज्वल गाथा है मेरी,
मेरे जीवन पथ की
माँ के आँचल में स्नेह
माँ ने शरण दी
अपनी गोद की
हृदय से प्रसन्नचित्त होकर
माँ मुझे उर में भरकर
चुम्बन कर स्पर्श जताया
समोद से अमृत-पूत-पय पिलाया
जैसे मधुमस्त मैं
साँझ-सवेरे देख-रेख करती
प्रकाश-पुंज की तरह
निर्निमेष,बिरला ,नगण्य
बातें हैं मेरी
तरुवर बनकर रही माँ
मेरे जीवन पथ पर!~तुलसी पिल्लई
(मेरी यह रचना स्वरचित,मौलिक और अप्रकाशित है।मैं इस प्रतियोगिता के सभी नियमों से सहमत हूँ)