कविता यादें
यादें
घाटियों पर ,
घिर रहा
गहरा अंधेरा।
मन मे उभरता,
आ रहा है —
नक्श तेरा।
जैसे आंसुओं के ,
नन्हे नन्हे हंस —
तैरते से आ रहे है,
पलकों का पंछी —
कर रहा साया घनेरा।
स्मृति तट पर,
बिछ गई है–
काई कीफिसलन,
घिर रही है धुंध–
स्लेटी सा अंधेरा।
राग बिरंगे चित्र ,
सब जीवन्त हैं–
मन मुक्त है कि,
उठ गया बुद्धि का पहरा।