कविता तुम मेरे हृदय की धड़कन हो.
#विश्व कविता दिवस.
पर हार्दिक शुभकामनाये
क्यों रूठी रूठी हो तुम कविता.
मेरा काव्य से नहीं था कोई नाता.
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मेरे हृदय का जब कवि जगा.
मालूम न था मुझे.
तुम ही मेरी पहचान बन जाओगी.
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तुम गुनगुनाई भँवरे सी गुंजन.
मेरी बंद कलि खिलखिलाई.
काव्य रसीला होता है.
रसीलेपन ने निश-दिन बिसराई.
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तुम तारक हो .
तुम पारस हो.
तुम ही कलकल बहते झरने.
तुम ही कलरव.
तुम ही शांत समुंद्र.
ज्वार ज्वाला ज्वलंत ज्वालामुखी.
उत्पत्ति हो.
जीव धरा पर.
विनायक हो.
विधायक हो.
हो समूचे सृष्टि.
अवगुणों को हरती हो.
जीव-जीवन में संभावना हो.
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तुम कविता हो.
महेंद्र प्रवाह तेरा.
#विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ?