Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2021 · 1 min read

कविता- तुकबंदी

कविता-तुकबंदी

कुछ तो खामियां रही होगी ,
लोग यूं ही बदनाम करते नहीं।
ये तो दौलत का गुरूर है
वर्ना लोग सलाम करते नहीं।।

क्यों कामनाओं की तुम भी
अब तो लगाम कसते नहीं।
चौदह वरस वनवास काटा है,
यूं ही सभी राम बनते नहीं।।

कुत्तों के भौकने से हाथी,
रास्ता बदला नहीं करते।
जो ऐब गैरों के गिनाये
वो कभी काम करते नहीं।।

आगे बढ़ने के लिए
कुछ तो करना ही पड़ेगा।
ऐसे तो बैठे बैठे किसी को
दाम मिलते नहीं।।
राना तुम प्रेम की बंशी तो बजाओ।
देखना फिर कैसे श्याम मिलते नहीं।।
***
– राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

Language: Hindi
3 Likes · 1223 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
View all
You may also like:
जमाना जीतने की ख्वाइश नहीं है मेरी!
जमाना जीतने की ख्वाइश नहीं है मेरी!
Vishal babu (vishu)
जब आओगे तुम मिलने
जब आओगे तुम मिलने
Shweta Soni
पैसा
पैसा
Kanchan Khanna
नादान परिंदा
नादान परिंदा
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जय जगन्नाथ भगवान
जय जगन्नाथ भगवान
Neeraj Agarwal
तुझे देखने को करता है मन
तुझे देखने को करता है मन
Rituraj shivem verma
हमने क्या खोया
हमने क्या खोया
Dr fauzia Naseem shad
करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में
करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में
gurudeenverma198
मजदूर औ'र किसानों की बेबसी लिखेंगे।
मजदूर औ'र किसानों की बेबसी लिखेंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
पर्यावरण दिवस
पर्यावरण दिवस
Satish Srijan
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
होंठ को छू लेता है सबसे पहले कुल्हड़
होंठ को छू लेता है सबसे पहले कुल्हड़
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
manjula chauhan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा हिन्दी
ऋचा पाठक पंत
प्रकृति के फितरत के संग चलो
प्रकृति के फितरत के संग चलो
Dr. Kishan Karigar
धड़कनो की रफ़्तार यूँ तेज न होती, अगर तेरी आँखों में इतनी दी
धड़कनो की रफ़्तार यूँ तेज न होती, अगर तेरी आँखों में इतनी दी
Vivek Pandey
बीते साल को भूल जाए
बीते साल को भूल जाए
Ranjeet kumar patre
अधूरा प्रेम
अधूरा प्रेम
Mangilal 713
सर्वश्रेष्ठ गीत - जीवन के उस पार मिलेंगे
सर्वश्रेष्ठ गीत - जीवन के उस पार मिलेंगे
Shivkumar Bilagrami
बोझ
बोझ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ग़ज़ल:- तेरे सम्मान की ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी अब...
ग़ज़ल:- तेरे सम्मान की ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी अब...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
जो हमने पूछा कि...
जो हमने पूछा कि...
Anis Shah
माँ से बढ़कर नहीं है कोई
माँ से बढ़कर नहीं है कोई
जगदीश लववंशी
"आज मैं काम पे नई आएगी। खाने-पीने का ही नई झाड़ू-पोंछे, बर्तन
*Author प्रणय प्रभात*
सफलता का बीज
सफलता का बीज
Dr. Kishan tandon kranti
3116.*पूर्णिका*
3116.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
Loading...