Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2023 · 1 min read

कविता:-ख़ौफ़ नही है दुःशासन में

ख़ौफ़ नही है दुःशासन में
==============

लो शुरु हो गई फिर जंग,
नये धृतराष्ट्र के शासन में।
================

लगी है आग चारो ओर,
प्रजा त्रस्त है कुशासन में।
===============

नारी निर्वस्त्र किऐ जा रही है,
हाकिम बैठा, मौन मुद्रासन में।
==================

बदल गयी है राजसभा,
बदल गये किरदार प्रशासन में।
==================

जालिम जिस्म नौच रहे है देखो,
कोई ख़ौफ नही है दुःशासन में।
==================

तुम कहाँ हो कृष्ण,आ कर देखो?,
लज्जित नारी बैठी मरणासन्न में।
==================

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”

Language: Hindi
180 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिंदी मेरी माँ
हिंदी मेरी माँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
इस क़दर
इस क़दर
Dr fauzia Naseem shad
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
कवि रमेशराज
जला दो दीपक कर दो रौशनी
जला दो दीपक कर दो रौशनी
Sandeep Kumar
71
71
Aruna Dogra Sharma
Perhaps the most important moment in life is to understand y
Perhaps the most important moment in life is to understand y
पूर्वार्थ
विश्व पुस्तक मेला
विश्व पुस्तक मेला
Dr. Kishan tandon kranti
गले लगाना पड़ता है
गले लगाना पड़ता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जी लगाकर ही सदा
जी लगाकर ही सदा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Sishe ke makan ko , ghar banane ham chale ,
Sishe ke makan ko , ghar banane ham chale ,
Sakshi Tripathi
हमारा प्रदेश
हमारा प्रदेश
*Author प्रणय प्रभात*
खुद को इतना हंसाया है ना कि
खुद को इतना हंसाया है ना कि
Rekha khichi
साए
साए
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सतत् प्रयासों से करें,
सतत् प्रयासों से करें,
sushil sarna
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
Sampada
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
Shweta Soni
Ajeeb hai ye duniya.......pahle to karona se l ladh rah
Ajeeb hai ye duniya.......pahle to karona se l ladh rah
shabina. Naaz
दास्तां
दास्तां
umesh mehra
कृष्ण की फितरत राधा की विरह
कृष्ण की फितरत राधा की विरह
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
3275.*पूर्णिका*
3275.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
कवि दीपक बवेजा
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
Rj Anand Prajapati
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
कागज ए ज़िंदगी............एक सोच
Neeraj Agarwal
जीवन और मृत्यु के मध्य, क्या उच्च ये सम्बन्ध है।
जीवन और मृत्यु के मध्य, क्या उच्च ये सम्बन्ध है।
Manisha Manjari
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
कहीं और हँसके खुशियों का इज़हार करते हैं ,अपनों से उखड़े रहकर
कहीं और हँसके खुशियों का इज़हार करते हैं ,अपनों से उखड़े रहकर
DrLakshman Jha Parimal
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
Ravi Prakash
तत्काल लाभ के चक्कर में कोई ऐसा कार्य नहीं करें, जिसमें धन भ
तत्काल लाभ के चक्कर में कोई ऐसा कार्य नहीं करें, जिसमें धन भ
Paras Nath Jha
झुग्गियाँ
झुग्गियाँ
नाथ सोनांचली
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
Rituraj shivem verma
Loading...