Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2023 · 1 min read

दास्तां

गुले बागवा तुझे मिला क्या है।
तेरे बाहम में खिला क्या है।।
तड़प गया वो तुझे देखकर।
चांद की इसमें खता क्या है।।
खिले खिले हैं जनाब सुबहा से।
रंग औ बू की बजह क्या है।।
इश्के जज़्बात कैद हैं दिल में।
बता साफ की बचा क्या है।।
दर्द पैहम लरजता रहा दिल में।
किस्सा ए आम है नया क्या है।।
बज्म रोशन है शम्मा के दम से।
बेफिक्र नादा कि जला क्या है।।
हुआ नीलम सब सरे बाजार में।
लुटे अरमान कि बिका क्या है।।
दर्दे दिल की दास्तां सुनाएं किसको।
बता की इस दर्द की दवा क्या है।।
उमेश मेहरा गाडरवारा ( एम पी)
9479611151

Language: Hindi
1 Like · 317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
PRATIK JANGID
हम पर कष्ट भारी आ गए
हम पर कष्ट भारी आ गए
Shivkumar Bilagrami
प्यारी तितली
प्यारी तितली
Dr Archana Gupta
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
पूर्वार्थ
■ अलग नज़रिया...।
■ अलग नज़रिया...।
*Author प्रणय प्रभात*
समलैंगिकता-एक मनोविकार
समलैंगिकता-एक मनोविकार
मनोज कर्ण
कौन कहता ये यहां नहीं है ?🙏
कौन कहता ये यहां नहीं है ?🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
Rashmi Sanjay
मुक्तक
मुक्तक
Suryakant Dwivedi
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
Phool gufran
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
कृष्णकांत गुर्जर
जिये
जिये
विजय कुमार नामदेव
शीर्षक:इक नज़र का सवाल है।
शीर्षक:इक नज़र का सवाल है।
Lekh Raj Chauhan
आलसी व्यक्ति
आलसी व्यक्ति
Paras Nath Jha
** बहुत दूर **
** बहुत दूर **
surenderpal vaidya
लोग चाहे इश्क़ को दें नाम कोई
लोग चाहे इश्क़ को दें नाम कोई
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
असफल कवि
असफल कवि
Shekhar Chandra Mitra
कुछ सपने आंखों से समय के साथ छूट जाते हैं,
कुछ सपने आंखों से समय के साथ छूट जाते हैं,
manjula chauhan
बदलती दुनिया
बदलती दुनिया
साहित्य गौरव
कह्र ....
कह्र ....
sushil sarna
कविता -
कविता - "बारिश में नहाते हैं।' आनंद शर्मा
Anand Sharma
श्री राम जी अलौकिक रूप
श्री राम जी अलौकिक रूप
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
तब याद तुम्हारी आती है (गीत)
संतोष तनहा
खुद से मिल
खुद से मिल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शराब खान में
शराब खान में
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
3161.*पूर्णिका*
3161.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
छंद घनाक्षरी...
छंद घनाक्षरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कुछ चूहे थे मस्त बडे
कुछ चूहे थे मस्त बडे
Vindhya Prakash Mishra
Loading...