कविता की भूमिका क्या है? / Dr Musafir Baitha
मेरी समझ में कविता की कम से कम दो भूमिका अब तक भारतीय जड़ एवं ‘तू मुझे खुजा मैं तुझे खुजाऊ’ समाज में प्रमाणित है।
एक, रामचरितमानस के माध्यम से हिन्दू धर्म की जड़ता को लोकमानस में स्थापित करना। यह सवर्ण और बहुजन दोनों तबकों में व्याप्त है।
दूसरे, पुरस्कार की साहित्यिक राजनीति में इसका (कविता विधा) का दबदबा। यह क्षेत्र स्थूलतः और मूलतः ‘बदस्तूर’ सवर्णों की चारागाह बना हुआ है।
note : विद्वान भैवे लोगन, आप पण्डित रामचन्द्र शुक्ल अथवा किसी भाषाविज्ञानी से अर्जित ज्ञान मत पढ़वाने लगना!