कविता :- आत्मा (संभावना की सरहदों पे)
कविता :– आत्मा
✍? अनुज तिवारी इंदवार
संभावना की सरहदों के ,
इस पार वो उस पार भी ।
देखने से न दिखी जो ,
रोकने से न रुकी ।
वो दरिंदों की मिली हर
यातना से न झुकी ।
जिसे छूने में नाकाम हैं ,
ये आधुनिक हथियार भी ।
संभावना की सरहदों के ,
इस पार वो उस पार भी ।
उसको तू महसूस कर
आभास कर , एहसास कर ।
पुरुषार्थ में ,परमार्थ में
लेकिन जरा विश्वास कर ।
होगी तुझसे रुबरु,
इस ज्योति की बौछार भी ।
संभावना की सरहदों के ,
इस पार वो उस पार भी ।
ऊर्जा से भरे हर
व्यक्तित्व में है आत्मा ।
देह की संवेदना
स्वामित्व में है आत्मा ।
ये साधकों कि संगिनी
है इन्द्रियों का सार भी ।
संभावना की सरहदों के ,
इस पार वो उस पार भी ।