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16 Jan 2023 · 1 min read

कविताओ में मुहावरे पार्ट तीन

धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का।
दलबदलू रहता न सत्ता का न पाट का।
सत्ता के लालच में जो पाला बदलता है,
उल्टा पहाड़ा पढ़ता सोलह दूनी आठ का।।

भैस के आगे अब क्या बीन बजाना है।
आस्तीन के सांपो को क्या दूध पिलाना है।
मारना पड़ेगा जो अब फुंकार हमे मारते हैं,
अगर हमने अपने देश को अब बचाना है।।

गिरगिट की तरह नेता रोज रोज रंग बदलते हैं।
आज इस पार्टी को कल दूसरी पार्टी बदलते हैं।
इनका दीन ईमान रहा नही अब कुछ भी,
ये तो रोज रोज अपनी बीबीया बदलते है।।

कौआ चला हंस की चाल अपनी भी भूल गया।
बनने चला था चौबे भैया दूबे ही वह रह गया।
जो करता है नकल दूसरो की इस दुनिया में,
नई के चक्कर में वह पुरानी भी भूल गया।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 158 Views
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