कल्पना
जिन्दगी के थपेंड़ो से
कई बार जब सपने
आँखो में ही दम तोड़ जाते है।
जिन्दगी को जीने की
इच्छा खत्म होने लगती है।
कई बार बुझते दिये की
लौ की तरह फड़फराते
मन को एक आस देकर
कुछ देर में ही बुझ जाती हैं।
मन से सारी आशाएँ
जब टूट जाती है
खुद का विश्वास
जब खुद के अन्दर से
मरने लगता है।
तो यह कल्पना ही है
यह सपना ही है
जो हमें प्रेरित करती है
अपने अन्दर फिर से
एक विश्वास जगाने के लिए।
खुद को खुद के अन्दर
जिंदा रखने के लिए।
खुद के जीवन को
एक नई दिशा देने लिए।
अपने जीवन को जीने
के लिए
फिर से हमारे अन्दर
एक नया उत्साह भर्ती है
नया उमंग नया जोश देती है।
जीवन अभी खत्म नही हुआ है
यह कल्पना ही तो आकर
हमें समझाती है।
आगे हमें जीवन को जीने
के लिए प्रेरित करती है।
~ अनामिका