“कल्पनाओं का बादल”
#विषय_बादल ☁️☁️
#विधा_छन्द_मुक्त_काव्य
#दिनांक :- 29 / 06 / 2022.
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☁️ कल्पनाओं का बादल ☁️
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बादल शब्द की झलक पाते ही
हरेक रचनाकार के मन में
‘कल्पनाओं का बादल’ छा जाता है,
बरसने लगती है जिससे
अनगिनत शब्दों की बरसात,
आ जाती है साहित्यिक पटल पे
खूबसूरत से अल्फ़ाज़ों की बाढ़,
दिखाई देती है जिसमें….
कई रचनाकारों की सुंदर सी रचनाएं….
पाठक जी भर के करते हैं जिसका दीदार,
छू जाता है जिसका पानी सबके हिय को,
तबाही नहीं चहल-पहल ये लाती,
हर किसी के मन को लुभाती,
बहुत बड़े उत्सव की भाॅंति,
हरेक रचनाकार को होता
अब सुंदर समीक्षा का इंतज़ार,
समीक्षाओं का दौर शुरू हो जाता….
समालोचना से पटल सुसज्जित हो जाता,
मानो, पटल पे आ जाती हो बहार,
सचमुच है ये “बादल” का ही कमाल,
जो साहित्यिक उपवन को कर देता गुलज़ार,
बारिश की बूंदें प्यासी धरती की बुझाती प्यास,
वैसे ही ये खूबसूरत जादू भरे शब्द
करते हैं तप्त हृदय में ठंडक लाने का प्रयास,
अब लगाया जाता विजेता बनने का कयास,
सबका अपना अपना दावा कि वो हैं ख़ास,
पर वो शब्दों की माला ही होती विजेता
जो हृदयाॅंगन में सबके आ जाती है रास,
एक जज की भूमिका भी हो जाती है ख़ास,
जिसके अंदर होता है परमेश्वर का वास,
उसे ही निर्णय करना किसकी रचना है ख़ास,
वैसे तो हर प्रतिभागी को रहती है आस,
पर शुद्ध वर्तनी, खूबसूरत भावों में सनी,
काव्य रस में सराबोर, यथोचित शब्द विन्यास
वाली रचना ही होती इस प्रतियोगिता में पास,
इतनी सारी गतिविधियाॅं होती रहती पटल पे
ये तो है बादल का ही कमाल,
किसी के हाथ लगती सफलता
और कितनों का होता बुरा हाल,
सचमुच ये बादल कब कहाॅं बरस जाए
और कहाॅं पे सूखा ला दे,
किसको हॅंसा दे और
किस, किसको रुला दे,
बारिश की बूंदें पड़ जाती
जिस कृषक के खेत में….
वो सचमुच हो जाता मालामाल,
पर ये मन की कल्पनाओं में….
छाया बादल हो इतना घनघोर….
कि बरस पड़े तो रुकने का नाम ना ले,
बस, कर दे खूबसूरत शब्दों की बौछार,
बुझा दे सबके हृदय की अगन को !
भिगो दे सबके तन – बदन को !
जगा दे मन में एक सुंदर सा एहसास….
जहाॅं हो बस, खुशियों की ही बरसात !
सचमुच है ये सब “बादल” का ही कमाल!!
( #स्वरचित_एवं_मौलिक )
@सर्वाधिकार सुरक्षित ।
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 29 / 06 / 2022.
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