Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

कला

कला
कला बिना जग सूना लागे ,
मानव,पूंछहीन पशु के है समान ,
ज्ञान यदि पहचान दिलाता ,
कला ही है जो देता सम्मान।

कला से विकृति को ढक लो यारो ,
कला विरक्ति वैराग्य समान ।
कला ही है प्रेम का रूप अनोखा ,
कला को तुम मानो भगवान ।

कला हुनर है जीना सिखलाता ,
कलाकार का रखता मान ।
काम क्रोध को दूर ही रखता ,
अहंकारी को नहीं इसका ज्ञान ।

कला कोई भी दिल में बसा लो ,
गीत संगीत हो या चित्रकारी ज्ञान ।
कला अनेकों है इस जग में ,
जिसने परखा वो हुआ धनवान ।

कला से है ईश्वर का नाता ,
डमरू है शिव की पहचान ।
वीणा झंकृत करता सदा मन को ,
कला से ही होता प्रभु अंतर्ध्यान ।

मौलिक एवं स्वरचित
मनोज कुमार कर्ण

1 Like · 108 Views
Books from मनोज कर्ण
View all

You may also like these posts

The battle is not won by the one who keep complaining, inste
The battle is not won by the one who keep complaining, inste
पूर्वार्थ
"" *सौगात* ""
सुनीलानंद महंत
एक ग़ज़ल यह भी
एक ग़ज़ल यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मुस्कुरा  दे  ये ज़िंदगी शायद ।
मुस्कुरा दे ये ज़िंदगी शायद ।
Dr fauzia Naseem shad
मेहंदी की खुशबू
मेहंदी की खुशबू
Minal Aggarwal
“यह बात सत्य हैं”
“यह बात सत्य हैं”
Dr. Vaishali Verma
जब कभी हमको सोचते होंगे ।
जब कभी हमको सोचते होंगे ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
"मेरा निस्वार्थ निश्चछल प्रेम"
विकास शुक्ल
भौतिकवाद के निकम्मेपन से तेवरी का उद्भव +राजकुमार ‘निजात’
भौतिकवाद के निकम्मेपन से तेवरी का उद्भव +राजकुमार ‘निजात’
कवि रमेशराज
फिर कभी तुमको बुलाऊं
फिर कभी तुमको बुलाऊं
Shivkumar Bilagrami
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
sushil yadav
रिश्ता रहा असत्य से
रिश्ता रहा असत्य से
RAMESH SHARMA
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै
Harminder Kaur
जिन्दगी एक अनकही दास्तान '
जिन्दगी एक अनकही दास्तान '
Karuna Bhalla
जिसकी विरासत हिरासत में है,
जिसकी विरासत हिरासत में है,
Sanjay ' शून्य'
- नयन उसके कटार -
- नयन उसके कटार -
bharat gehlot
दोस्ती
दोस्ती
Naushaba Suriya
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
Ajit Kumar "Karn"
वो बुद्ध कहलाया ...
वो बुद्ध कहलाया ...
sushil sarna
लो आ गए हम तुम्हारा दिल चुराने को,
लो आ गए हम तुम्हारा दिल चुराने को,
Jyoti Roshni
मैंने, निज मत का दान किया;
मैंने, निज मत का दान किया;
पंकज कुमार कर्ण
गौमाता मेरी माता
गौमाता मेरी माता
Sudhir srivastava
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
* संसार में *
* संसार में *
surenderpal vaidya
" किताब "
Dr. Kishan tandon kranti
*सपोर्ट*
*सपोर्ट*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
..
..
*प्रणय*
स्पर्श
स्पर्श
Kavita Chouhan
3623.💐 *पूर्णिका* 💐
3623.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*मोबाइल इंसानी जीवन पर भारी*
*मोबाइल इंसानी जीवन पर भारी*
Vaishaligoel
Loading...