कलम
कलम
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
लगता है आज फिर एहसासों का सैलाब उमड़ा है
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
लगता है आज फिर किसी का भविष्य रचना है
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
लगता है आज फिर किसी की क़िस्मत लिखी जानी है
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
लगता है आज फिर किसी की आँखों मे पानी है
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
लगता है आज फिर वही रात तूफानी है
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
लगता है आज फिर किसी की इश्क़ की दास्तां लिखी जानी है
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
लगता है आज फिर एक रूहानी रचना रची जानी है
आज फिर कलम की स्याही भीगी है
तेरी मेरी ये हम सब की जुबानी है
-रुपाली भारद्वाज