कलम , रंग और कूची
कलमकार के हाथ
पगे हुए थे प्रेम में
रंग औ’ कूची में समाई
दिल की महक,
कलम लिखती जाती
ग़ज़ल और नगमे
रंग औ’ कूची में दिखती
दर्द की कसक।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
कलमकार के हाथ
पगे हुए थे प्रेम में
रंग औ’ कूची में समाई
दिल की महक,
कलम लिखती जाती
ग़ज़ल और नगमे
रंग औ’ कूची में दिखती
दर्द की कसक।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति