कर रहे हैं वंदना
** गीतिका **
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कर्म पथ पर बढ़ चलें मन में जगे शुभ भावना।
नित्य हम निश्छल हृदय से कर रहे हैं वंदना।
ज्ञान हमको दीजिए अज्ञान का तम दूर हो।
हे गजानन कर कृपा स्वीकार कर लो अर्चना।
शक्ति रूपा पार्वती मां शिव पिता हैं आपके।
सिंधु है भव का भयानक हाथ प्रभु तुम थामना।
कर रहे मूषक सवारी भोग प्रिय मोदक बहुत।
भक्त के कल्याण हित स्वीकार करते याचना।
भावना भर भक्त के वश में रहा करते सदा।
आपकी लीला बहुत ही है कठिन सब जानना।
वर दिया करते सभी को नित्य ही शुभ लाभ का।
रिद्धि सिद्धि की तुम्हारे साथ होती प्रार्थना।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)