कर्म ही है श्रेष्ठ
मुख्तसर से ख्वाब है और बिखरे बहुत ख्याल
ख्वाब, ख्याल की जंग मे, किस्मत हुई खराब
सोच सोच के सोच को अपनी इतना दिया थका
नही बची अब सोच भी ऐसी ,जो कर्म करे बता
आलस है भरा या भाव हुआ विरक्त, कैसे करे पता
सोच विचार और इच्छा शक्ति , जब दुश्मन है बना
कर्म है शक्ति , कर्म अराधना , कर्म ही है श्रेष्ठ
कर्म बिना सब सूना जीवन, हो विचार चाहे अनेक
गीता ,मानस पढ ले चाहे , वेद और पुराण
कर्म का सदा भाव समेटे, भर भर देते ज्ञान
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर