Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2024 · 1 min read

कर्म ही पूजा है ।

मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
ये कर्मभूमि है यहाँ कर्म ही पूजा है।।

यहाँ हर कई अपना है।
ना कोई पराया है ना कई दुजा है ।

राधे राधे

-दिवाकर महतो
बुण्डू, राँची, (झारखण्ड )

84 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम में राग हो तो
प्रेम में राग हो तो
हिमांशु Kulshrestha
थोङी थोड़ी शायर सी
थोङी थोड़ी शायर सी
©️ दामिनी नारायण सिंह
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तू नर नहीं नारायण है
तू नर नहीं नारायण है
Dr. Upasana Pandey
बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
Rajesh Kumar Arjun
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
कलम की ताक़त
कलम की ताक़त
Dr. Rajeev Jain
चलते रहना ही जीवन है।
चलते रहना ही जीवन है।
संजय कुमार संजू
तस्वीर तुम इनकी अच्छी बनाओ
तस्वीर तुम इनकी अच्छी बनाओ
gurudeenverma198
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
Paras Nath Jha
What can you do
What can you do
VINOD CHAUHAN
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
* सामने बात आकर *
* सामने बात आकर *
surenderpal vaidya
लक्ष्य
लक्ष्य
Suraj Mehra
" जल "
Dr. Kishan tandon kranti
24/01.*प्रगीत*
24/01.*प्रगीत*
Dr.Khedu Bharti
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
Manoj Mahato
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
AJAY AMITABH SUMAN
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
कविता __ ( मन की बात , हिंदी के साथ )
कविता __ ( मन की बात , हिंदी के साथ )
Neelofar Khan
कलम
कलम
अखिलेश 'अखिल'
सरस्वती वंदना-3
सरस्वती वंदना-3
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
राज वीर शर्मा
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
Ajit Kumar "Karn"
" प्रिये की प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
Sonam Puneet Dubey
बदलते दौर में......
बदलते दौर में......
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
शीर्षक - चाय
शीर्षक - चाय
Neeraj Agarwal
*देखो मन में हलचल लेकर*
*देखो मन में हलचल लेकर*
Dr. Priya Gupta
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...